नमस्ते ,
भारत मे शिव की जीवंत ऊर्जा समान 12 ज्योतिर्लिंग पवित्र शिव मंदिरो से कोई अपरिचित नहीं है | परंतु भारत के बाहर भी शिव ऊर्जा हजारो सालो से शिव ज्योत प्रजव्वलित है | आज सत्य की शोध मे उन भारत के बाहर के शिव मंदिरो का सत्यनामा आपके ज्ञान के लिए प्रस्तुत करते हुए आनंद की अनुभूति का एहसास कर रहा हु |
1- कटासराज मंदिर -पाकिस्तान
एक समय के भारत मे कहा जाता यह मंदिर आज भारत के बाहर का कहा जाता है और कहना भी होगा | यह मंदिर अब पाकिस्तान के चकवाल जिलले के नीमकोट पर्वत शृंखला मे स्थित है , यह मंदिर महाभारत काल का माना जाता है | इनके आसपास भारत मे व्रत-उपवास मे उपयोग मे लिया जाता सैन्धव-सेंधालूण पिंक सोल्ट की खाने है [पहाड़ है ] यहा सात से ज्यादा मंदिर है जिनको सतग्रह नामसे जानते है | पौराणिक कठके अनुसार जब सती ने अपने प्राणो की आहुती दी थी तब शिव की आखो से दो पृथ्वी पर अश्रु गिरे थे , जिनमे से एक कटासराज मे और दूसरा पुष्कर मे , दोनों स्थल के आसपास तालाब का निर्माण हुआ था और तालाब चारो और मंदिरो का समूह है |
कथा है की राजा दक्ष के द्वारा भगवान शिव को कटाक्षभरे शब्दो मे कहे जाने पर इस क्षेत्र का नाम कटाक्ष के अपभ्रंस शब्द से कटास पड़ा | एक मान्यता के अनुसार पांडवोने अपने वनवास के दरम्याम यहा कुछ समय व्यतीत किया था | कथा के अनुसार यक्ष द्वारा पांडवो को कुछ प्रश्न पुछे गए थे जिनके उतार नहीं मिलने पर पांडव मूर्छित हो गए थे , बाद मे युधिस्थिर ने ज्ञानसभार उतर यक्ष को देने से पांडवो को नवजीवन मिला था | यहा के मंदिरो की स्थापत्य कला कश्मीरी शैली की है , चौथी शताब्दी मे भारत की यात्रा पे आए फ़ाहियान ने भी अपने प्रवास वर्णन मे इस मंदिर का उल्लेख किया है |
2-प्रम्बनन मंदिर इंडोनेशिया
साक्षीण एसिया के देशो मे हिन्दू संस्कृति का गहरा प्रभाव है ,वह हर जगह पे प्रमाण मिलता है | एस ही एक स्थल है इन्डोनेशिया के जावा के पास योगयकरता शहर से 17 किलोमोटर दूर एक मंदिर कहने से एक समूह कहना उचित होगा | क्यू की यहा छोटे बड़े मिलकर 240 मंदिर है |
प्रम्बनन नाम परब्रहमन के अपभ्रंस शब्द से आया हुआ माना जाता है | स्थानिक भाषा मे इस मंदिर को रो रो जोंगरंग के नामसे भी जाना जाता है | 240 मंदिरो मे से काल के चकक्र से महत्तम मंदिर नष्ट हो गए है या किए गए होंगे | परंतु त्रिदेव को समर्पित तीन मुख्य मंदिर जीवंत है | इनमे शिव मंदिर का महत्व बड़ा है | 154 फिट ऊंचा शिव मंदिर नौमी शताब्दी के महाराजा पिकाटन द्वारा निर्मित हुआ माना गया है | इन्डोनेशिया मे इस्लामिक आक्रमणों द्वारा हिन्दू और बौद्ध मंदिरोमे लूंट और मंदिर ध्वंस के कारण यहा मंदिरो मे ज्यादा नुकसान पहोचा था | परंतु आज भी यहा भव्यताके शिखर समान शिव मंदिर भक्तो के लिए भव्यातिभव्य खड़ा है | जिनके दर्शन का लाभ अवश्य लेना चाहिए |
3-मुन्नेश्वरम मंदिर श्रीलंका
लंका याने रावण और रावण याने लंका निसंदेह यह कहने की जरूर नहीं है की यह रावण की नागरी है | परंतु रावण कितना बड़ा शिव भक्त था यह बात से सभी को परिचित करना चाहिए | रावण जब शिव का इतना बड़ा भक्त था तो शिव मंदिर लंका मे होना ही चाहिए | श्री राम ने भी रावण से निर्यात्मक युद्ध से पहले इष्टदेव रामेश्वर की स्थापना करके शिव आराधना की थी | युद्ध मे रावण वध के बाद लंका मे भगवान श्रीराम ने इस शिव मंदिर ने पुजा-अर्चना की थी आइस अपरमान शाष्ट्रों से प्राप्त है | यह मंदिए परिसर मे पाँच मंदिर होने एक कारण इन्हे पञ्चेश्वर भी कहा जाता है | यह मंदिर पुट्ट्लम जिलले के मुन्नेश्वर मे स्थित है | भोलेनाथ का मुख्य मंदिर बहुत छोटा था ,पर डसमी शताब्दी मे विकास किया गया और श्रीलंका का यह मंदिर हिन्दुओके श्राद्धा का केंद्र बन गया | यह मंदिर की भव्यता और कारीगरी देखने लायक है | जब भी आप श्रद्धालु श्रीलंका जाये तब यह मंदिर की मुलाक़ात जरूर ले |
4-शिव हिन्दू मंदिर नेथरलेंड
यह एक नवीनतम मंदिर है |नेथरलेंड मे एमस्टरडेम के जुईडुस्त मे स्थ्गिर है ,यह मंदिर नेथरलेंड के हिन्दुओ का आस्था स्थान है | बड़ी भारी शंखया मे यहा के हिन्दू इस शिव मंदिर के शिव की पूजा आर्चना अकर्ते है , इस मंदिर के द्वार 4 जून 2011 को शिव भक्तो के लिए खोले गए है | 4000 चरस मीटर मे फैला यह मंदिर मे पंचमुखी शिवजी शिवलिंग के रूप मे बिराजमान है | इस शिव मंदिर मे श्री गणेश ,देवी दुर्गा,हनुमानजी की प्रतिमा भी भक्तो की पूजा के लिए उपष्ठित है | यहा रविवार को भक्तो के द्वारा भक्तो के लिए भंडारा भी होता अहि | यहा स्थापित गंगा अवतरण की कथा प्रस्तुति की शिव प्रतिमा विदेशिओ के आकर्षण का केंद्र है |
5-सागर शिव मंदिर मोरेशियस
भारतीय हिन्दुओको मोरेशियस के बारे मे ज्यादा कुछ बतानेकी जरूर नहीं लगती है | क्यू की जब भी भारतीय हिन्दू मोरेशियस जाता है तो वो सिर्फ मनोरंजन या प्रव के लिए ही नहीं बल्के साथ मे यहाका एक अति दुंदर जग प्रख्यात शिव मंदिर भी है जो हरेक भारतीय प्रवासी के लिए एक मुख्य मुकाम साबित होता है | यह भाई मोरेशियस का ‘सागर शिव मंदिर’ अब जब नाम ही दर्शाता है की सागर शिव मंदिर तो यह शिवजी अवश्य ही सागर किनारे ही बस्ते होंगे ? जी हा | यह मंदिर का नामकरण कैसे हुआ होगा , हालाकी यह मंदिर कोई पौराणिक मंदिर नहीं है | ये आधुनिक मंदिर है , परंतु विदेशो मे बने हुए मंदिरो मे से ये आधुनिक मंदिर को विदेशोके मंदिरो मे से एक आकर्षण का केंद्र जरूर है | यह मंदिर मोरेशियस के पूर्व भाग मे गोयावे दी चाइन , पोसते दी फ्लाक ,मोरेशियस के टापू पर स्थित है | इस मंदिर का निर्माण 2007 मे धुनोवा परिवार द्वारा किया गया है | जिनहोने इस मंदिर के विकास कार्य मे लाखो रूपियों का दान किया था | इस मंदिर मे भगवान शिव की 108 फिट ऊंची कांसे की प्रतिमा स्थापित है जो शिव का अद्भुत रूप प्रगत करता है | ये मंदिर अवश्य ही समुद्र किनारे है और मेंग्रोव्स से चरो तरफ घिरा हुआ है , जो इस मंदिर परिसर को आह्लाद और शांत वातावरन प्रदर्शित करता है | अब जब भी कोई भक्त पहली बार मोरेशियस जाये तो यह सागर शिव मंदिर मे बिराजमान शिव भोलेनाथ के दर्शन बिना मोरेशियस का प्रवास अधूरा लगेगा || तो अवश्य दर्शन का लाभ ले |
6-मध्य कैलास मंदिर दक्षिण आफ्रिका
द्क्षिण आफ्रिका का यह कैलाश मंदिर पौराणिक नहीं है और इस मंदिर का परिसर भी कोई बड़ा नहीं है पर , ईश्वर तो ईश्वर है महादेव देवोके देव के लिए जगह कितनी बड़ी है कोई माइना नहीं रखती है | श्रद्धालु की श्रद्धा ही महान होनी चाहिए | ये मंदिर मध्यकालीन है | दक्षिण भारतीय शैली मे बना यह मंदिर आफ्रिका के शिव भक्तो के लिए श्रद्धा का उत्तम स्थान है | इस मंदिर का खास आकर्षण यह है की इस मंदिर मे सभी हिन्दू देवी देवताओके धार्मिक पर्व को बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है जो बहुत बड़ी श्रद्धा का केंद्र साबित हुआ है | जिनके कारण हममेशा यहा धार्मिक मेला जमा रेहता है |
7-श्री राजा कालियाम्मन मंदिर मलयेसिया
इस मंदिर लगभग 100 साल पुराना है ,जी हा 1922 मे इस का निर्माण कार्य हुआ है | जिस जमीन पर यह मंदिर खड़ा है वो जमीन जौहर के सुल्तान द्वारा भारतीयो को वसीयत मे दी गई थी | शुरुआत मे यहा एक छोटा सा मंदिर था पर समय के साथ विकास होता गया ,इस मंदिर के अंदर के भाग मे काच का इतना जटिल काम किया है गया है की इस मंदिर को आज काच के मंदिर से भी जाना जाता है | इस मंदिर के गर्भगृह की बात की जाये तो इनकी दीवालों पर 300000 तीन लाख रुद्राक्ष से सजाया गया है | देश का एक मात्र पहला काचका मंदिर होने के कारण इस मंदिर को मलेशियन बूक ऑफ रेकॉर्ड मे स्थान मिला है , यह कहने की आवश्यकता नहीं है की भगवान शिव का प्रतीक रुद्राक्ष को इतनी बड़ी लाखो की शंखया मे एक साथ दर्शन करना भाग्याशाली भक्तो के नाशिब ही होता है | तो अवश्य जब भी आप मालयेशिया जाये तो राजा कालियम्मन मंदिर के ईश्वरीय रूप के दर्शन का लाभ अवश्य ले |
8-मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर ऑस्ट्रेलिया
भारत के 12 ज्योतर्लिंग से तो हर भारतीय परिचित है है ,आपको जानते हुए आश्चर्य होगा की यहा ऑस्ट्रेलिया मे जो मुक्ति गुप्तेश्वर महादेव मंदिर है वो तेरवा ज्योतिर्लिंग माना जाता है | ऑस्ट्रेलिया के सिडनी- मिन्टो मे स्थित यह मंदिर पौराणिक ऐतिहासिक है ,आप अगर 12 ज्योतिर्लिंग मे प्रथम सोमनाथ के दर्शन करने गए होंगे तो देखा होगा की वहा एक दिशा सूचक है , माना जाता ही की यह दिशा सूचक सीधा ऑस्ट्रेलिया के इस मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर को दर्शाता है , यह शिवलिंग नेपाल के महाराजा के पास था |
शास्त्रो के अनुसार यह लिंग का स्थान नागना मुख समान दक्षिण गोलार्ध मे होना चाहिए ,इस लिए 1999 मे नेपाल के तत्कालीन राजा बिरेन्द्र बीर बिक्रम शाह देव द्वारा ऑस्ट्रेलिया को भेट स्वरूप दिया गया था | इसके साथ महादेव की स्तुति के 7996 स्त्रोतों भी भेट स्वरूप दिये गए थे जो आठ भाग मे विभाजित है ,मानव सर्जित गुफा आके अंदर इनकी स्थापना की गई है ,मुख्य शिवलिंग के साथ अन्य 12 ज्यतिर्लिंग भी स्थापित है |कुल मिलाकर इस मंदिर के परिसर मे 1128 छोटे छोटे मंदिर है जो तमाम भगवान शिव के संपर्क मे है ऐसा माना जाता है | मंदिर के गर्भगृह मे 10 मीटर के गहरे पात्र मे 2 करोड़ हस्त लिखित ‘ॐ नमः शिवाय’: के पत्र है | इनके साथ विश्व की 81 नडिओके जल और अष्टधातु भी स्थापित किए गए है , भारत के 12 ज्योतिर्लिंग के सिवा विश के यह आठ और शिव मंदिर की महिमाँ हमने सत्य की शोध करके आप के लिए विश्व के प्रशिद्ध शिव मंदिरो का ‘सत्यनामा प्रस्तुत करते हुए हमे आनंद की अनुभूति प्राप्त हो रही है | ऐसे ही और कई धाम हर धर्म से जुड़ी हुई घटनाए ‘सत्य की शोध ‘ मे लाएँगे इसके लिए देखये रहिए पढ़ते रहिए विश्व की एक मात्र सत्य के साथ प्रमाण के साथ प्रस्तुत करने वाली न्यूज़ वेब पोर्टल चेनल “सत्य की शोध”
नरेंद्र वाला
[विक्की राणा]
‘सत्य की शोध’