नमस्कार ,
8 मार्च , याने आज विश्व महिला दिन है ,और पूरा विश्व आज इस दिन को बड़े ही उत्साह से मनाते है | और बड़े गर्व के साथ हर एक इंसान को इस दिन को खुशी से मनाना ही चाहिए |और विश्व की हर एक महिला को सन्मान की नज़ारो से देखकर उसे सन्मान देना ही चाहिए |जो विश्व के हरएक देश मे सन्मान मिल रहा है |
आज के विश्व महिला दिन के दिन किसी एक महिला को चुनकर उनके ही बारे मे, उनके जीवन के बारे मे ,उनके संघर्ष के बारेमे , लिखना चाहु तो मेरे हिसाब से ये विश्व की उन सभी महिलाओ पे अन्याय होगा, जिनका आज इस ब्लॉग मे जिक्र नहीं होगा | क्यू की विश्व के हरएक पुरुष पर महिला-स्त्री का ऐसा उपकार है जो जिंदगीभर उतार नहीं पाएंगे |
एक महिला सबसे पहले एक माँ है , सबसे पहले मैंने माँ को दर्जा दिया इस लिए की शक्ति, याने ‘सती’, अगर इस संसार जीवन मे याने पृथ्वी लोक पर अवतरण नहीं होती, तो शिव अकेले इस विश्व के संसार को जन्म नहीं दे पाते | इस लिए सबसे पहले माँ है, जो हमे जन्म देती है | यहा भगवान शिव और माँ शिवा [सती] का जिक्र करना जरूरी समजा है , क्यू की वह दोनों ही संसार के प्रथम रचियिता है | उदाहर मैंने एक ही दिया है, जो सनातन धर्म से जुड़ा है | बाकी इस विश्व मे जीतने भी धर्म है , उन सभी के हिसाब से अपने अपने धर्म की मान्यताओके आधार पर नाम अलग अलग है, पर इस संसार की रचना करनेवाला सभी धर्मो के हिसाब से ऊपर आशमानी यानि ब्रह्मांड की शक्तिओ से उत्तपन्न इस संसारको माना गया है जिसके नाम सिर्फ अलग है, सभी के धर्म की मंज़िल तो एक ही है |
महिला दिन पे महिलाओ के अपने अपने देश के लिए बलिदानो की बात करू ,या उनकी जीवनी की बात करू? तो शायद यहा जगह कम ही कम होगी | क्यू की इस विश्व मे महिलाओका अनगिनत योगदान है , किसे याद करे ?>और किसे भुला दिया जाये ? इस लिए आज हम विश्व की हरएक महिलाओका नतमस्तक प्रणाम करके, उनके योगदानों को नहीं भूलकर उनके उपकारो को याद करके उनका सन्मान करते हुए याद करते है |, |
‘ माँ ‘भी जन्म लेती है एक बेटी के रूप मे , और माँ का उपकार तो हम कभी चुका ही नहीं पाएंगे इतने उपकार है हमपर | बेटी अपना बचपन बिताती है ,अपने मात-पिता के घर , बेटी जब बड़ी हो जाती है तो उन्हे एक ऐसे घर , एक ऐसे व्यक्ति के साथ ब्याह करके अपने घर जो हककीकत मे उस बेटी के लिए एकदम पराया है | जिन्हे हम बेटी का अपना घर कहते है , और सच्चाई भी येही है, की बेटियो के लिए मात-पीता का घर तो पराया है | सच्चा घर तो ये अंजान शहर मे ,अंजान लोगोके बीच , अंजान घर मे ही अपना सही घर मानकर अपना लेती है | जरा सोचीए ! हम कोई अंजान लोगोके बीच , अंजान शहर मे , कितने दिन रेह पाएंगे ? जवाब शायद दो चार दिन | जी हा ! इससे ज्यादा हम नहीं रेह पाएंगे | और एक बेटी जो अंजान शहर मे अंजान लोगोके बीच एक अलग माहोल मे अलग सभ्यता मे ,अलग नियमो के साथ अपनी पूरी ज़िंदगी दूसरों के विचारो के साथ अपनी पूर्ण ज़िंदगी एक पराये घरको ,पराये लोगोकों अपना बनाकर जी लेती है | संसार का पालन करके एक और संसार को जन्म देती रहती है | वो ब्याही हुई बेटी भी बच्चो को जन्म देती है ,वो भी एक बेटी को भी जन्म देती है , जो एक बेटी है , एक बहन है , एक भतीजी है ,एक भांजी है , एक बहू है ,एक पत्नी है और जब येही बेटी बड़ी हो जाती है तो वही संसार चक्र मे उसे जाना होता है| जहा फिरसे वो एक अंजान शहर मे, अंजान लोगोके बीच ,एक पराये घर को अपना घर बनाकर जीवन बिताती है |
इतना काफी नहीं है| एक बेटी के लिए की वो एक पराये शहर मे पराये लोगो को अपनाकर जी लेती है , और उनका धर्म है ,इस लिए उन्हे इसी संसार चक्र के नियमोको अपनाकर जीना ही होता है | यह शांति से सोचिए ! क्या यह कोई छोटीसी बात है ? जहा अपना सबकुछ न्योछावर करके भी ,एक पराए परिवार को अपनाकर अपना परिवार स्थापित करना कोई छोटीसी घटना है ? नहीं ! यह सिर्फ और सिर्फ एक नारी ही कर सकती है ,सिर्फ औए सिर्फ एक बेटी ही कर सकती है ,सिर्फ और सिर्फ एक महिला ही कर सकती है ,सिर्फ और सिर्फ एक बहन ही कर सकती है ,सिर्फ और सिर्फ एक पत्नी ही कर सकती है , जिनके नाम पर हम आजका दिन बड़े ही गर्व से मानते है | क्या कभी उनकी भावनोको समजने की कोषीश की है ? अगर एक बार उनकी भावनोको समजनेकी कोषीश करेंगे तो वो बेटी हो ,बहन हो ,पत्नी हो ,या माँ हो उनके बराबर हम खड़े भी नहीं रेह पाएंगे ? क्यो की ‘समर्पण’ ही इस समाजने उनका धर्म बना दिया दिया है| और करोड़ो सालो से वो हमारे लिए समर्पित होती रही है ,और समर्पित होती ही रहेगी | वो इस समर्पण को अपना धर्म मानती है |और बखूबी वो धर्म जीवन पर्यत निभाती रहती है |
आज मैंने इसी लिए किसी एक महिला का जीवन ,जो देश समाज के लिए समर्पित है |उनको नहीं लाकर , विश्व समाज की उन सभी महिलाओको, जो विश्व समाज के सभी धर्मो मे समर्पित रहती है | इस लिए आज मैंने कोई एक नाम आपके सामने नहीं रखते हुए हमारी सभी बेटिया,सभी बहने ,सभी पत्नीया ,सभी माताओको याद करके ,उनके समर्पण भावकों याद करते हुए ,यह लिखते समय भावनात्मक भावनाओसे जुड़कर ,आखो की नमी के साथ नतमस्तक प्रणाम करता हु | ‘सत्य की शोध’ का ‘सत्यनामा’ आपके सामने रखते हुए आनंद की अनुभूति का एहसास कर रहा हु |
जय हिन्द , जय भारत
नरेंद्र वाला
[विक्की राणा]
‘सत्य की शोध’
2 comments
bahut achchhi post hai ,
vishv mahila din pe apne kisi ek mahila ko yaad nahi karte hue ,vishv ki sabhi mahilaoko sanmaan diya bahut hi achchha laga , dhanyavad