नमस्कार,
“माँ” दिवस [ mother day ]
आप सभी को “माँ” दिवस” याने अंग्रेजो की भाषा मे ‘mother day’ की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनए और विश्व की हर “माँ” को हृदय से शुभकानाए और आभार व्यक्त करता हु | क्यू की आज साल मे सिर्फ एक ही दिन अंग्रेज़ो के हिसाब से सब मनाते है , लेकिन मेरे हिसाब से “माँ ” एक शब्द ही नहीं , “माँ” एक ऐसा एहसास है, जो एक पल भी हम भूल नहीं पाते | और उनके इतने उपकार है, की हम चाहते हुए भी, उस उपकारो का बदला चुका नहीं पाते है | क्यू की हम बड़े हो जाने के बाद और खास करके विवाह के बाद मजबूर हो जाते है मगर “माँ ” कभी बच्चो के लिए मजबूर नहीं हुई | अगर इस संसार चक्र के समय ने उसे कही मजबूर भी किया हो ,तो सिर्फ अपने बच्चो के लिए उस मजबूरी को नहीं चाहते हुए भी चाहकर कुछ “माँ ” ओ ने अपने आप से समजोता करके संघर्ष करके , महेनत करके , खून-पसीने से अपने बच्चो को एक अच्छा जीवन देने की हर पल कोशिष करती है | और “माँ” की काम्याब कोशिश का नतीजा उनकी बदौलत हमारी यानि बच्चो के जीवन की काम्याबी है | इस लिए अंग्रेज़ो के हिसाब से भलेही आज 14 मय को mother day मनाते है परंतु मेरे हिसाब से जीवन का हर दिन “माँ” का दिन है | इस बात से सहमत हो तो तो इस आर्टिकल के अंत मे कॉमेंट बॉक्स मे कॉमेंट करके सबस्क्राइब करने की कृपा करे |
“माँ’ संसार जीवन का एक किरदार ही नहीं ,”माँ” सिर्फ जन्मदात्री नहीं ,”माँ” सिर्फ इस विश्व मे लानेवाली ही नहीं , “माँ” सिर्फ अपनी गोद मे हमे सुलाकर लौरिया सुनाकर सुख की नींद देने वाली ही नहीं है | “माँ” सिर्फ अपने हाथो से खाना बनाकर खुद भूखा रहकर पहले हमे खिलाने वाली ही नहीं है | “माँ” सिर्फ हमारी हर ज़िद को पूरी करने वाली ही नहीं है | “माँ” सिर्फ दुख को अपने गले लगाकर सुख हमे देने वाली ही नहीं है |
“माँ” इस संसार की एक ऐसी मूरत है, जो शील्पकार [ कुदरत ] ने लोहे की छीनी-हथौड़ी से संसार जीवन के अनगिनत घाव दे देकर एक ऐसी करुणा की /प्रेम की ज़िंदा मूरत की रचना की ,जो कभी टूट नहीं शक्ति | आदमी कितना भी बड़ा क्यो न हो जाये , मगर “माँ” से बड़ा कभी कोई हो ही नहीं शकता | “माँ” के बराबर इस दुनिया मे ईश्वर ने किसी की रचना ही नहीं की है | “माँ” के प्रति प्यार को खुलकर जताए उन्हे महसूस कराये |उनके महत्व को महसूस कराये |सार्वजनिक हिसाब से प्रसंसा करे | हर उम्र मे “माँ’ का ख्याल रखे क्यो की हमारे पास शब्द ही नहीं था तब से लेकर जीवन पर्यत हमारा ख्याल रखा है, और रखती आती है | इतना ही नहीं हमे इस दुनिया मे लाने से पहले ही हमारा जतन खुद से ज्यादा करने वाली ये “माँ” ही है | माँ के लिए लिखने मे शब्द ही कम पद जाते है | इतने एहसान है माँ का हमपर की वो उतारनेकी हमारी कोई हैसियत ही नहीं है |
दोस्तो…”माँ” को किसी एक चाहने वाली या चाहने वालो के लिए गवाना नहीं /खोना नहीं | “माँ” वो एहसास है जो चलते चलते बीच राह ठोकर लगनेसे “ऊई “माँ” शब्द हमारे मुह से निकाल आता है , तब इस पृथ्वी के करोड़ो भगवान होते हुए भी किसी भी भगवान का नाम मुह पर नहीं आता | “माँ” ममता का वो खजाना है जो कभी खतम नहीं होता | बेटा चाहे कितना भी क्रूर क्यो ना निकले मगर “माँ” के लिए तो वो अपना बेटा ही है | उनके लिए भी कभी प्यार कम नहीं होता |
सनातन धर्म के ज्ञान से जब इस विश्व की अलग अलग 84 करोड़ योनिओ मे से जन्म लेकर पसार होते है, तब हमे यह मनुष्य अवतार मिलता है और इस पृथ्वी पर मनुष्य अवतार ही सबसे उत्तम अवतार है |और वो अमूल्य मनुष्य अवतार देने वाली हमारी ये “माँ” ही है , जिनको कुदरत/ईश्वर ने हमे इस विश्व समाज मे लाने के लिए चुना है | इस लिए “माँ” से बड़ा इस दुनिया मे कोई नहीं है सबसे पहले “माँ’ सिर्फ “माँ” को रखो बाद मे सब कोई | वो खुश नसीब होते है जिनके पास “माँ” है |
क्या आपने कभी सोचा है ?की “माँ” नहीं होती तो क्या होता?एक ही जवाब मिलेगा, की हम ही नहीं होते|
नरेंद्र वाला
[विकी राणा ]
‘सत्य की शोध’