



नमस्कार ,
जय श्रीराम भगवान श्रीराम के पूर्वज और वंशज का ‘सत्यनामा’
भगवान श्रीराम की रामायण पूरे भारत वर्ष ने सुनी है और फिल्म क्षेत्र से रामानन्द सागर जी ने रामायण को अपनी सूजबूज के जरिये चित्रीकरण करके प्रस्तुत भी की है, जिनके पात्र आज भी सभिके दिलोपे छाए हुए है , रामायण जो एक धारावाहिक के रूप मे प्रस्तुत की थी उसमे प्रस्तुत करता की कुछ मर्यादा भी रही है, जिनके कारण सम्पूर्ण सत्य प्रस्तुत न भी कर शके हो ऐसा मान शकते है ,आज हम आपके सामने भगवान श्रीराम के पूर्वज और वंशज की सत्य सूची प्रस्तुत करते है जो आज के इंटरनेट के युग मे भी प्रचलित है हमने भी रामायण के आधार से और प्रचलित लेखको के पुस्तक जो आदिकाल से प्रकाशीत हुए है, उनका प्रमाण लेकर सत्य की शोध के वांचको के लिए प्रस्तुत करते हुए हर्ष की अनुभूति होती है
इक्ष्वाकु वंश प्राचीन वैदिक भारत के शासकों का एक वंश है। इनकी उत्पत्ति राजा इक्ष्वाकु से हुई थी। ये प्राचीन कोशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी। रामायण और महाभारत में इन दोनों वंशों के अनेक प्रसिद्ध शासकों का उल्लेख मिलता है। श्रीराम इस वंश में जन्मे और बौद्ध धर्म में भी इक्ष्वाकु वंश का बहुत महत्त्व है। सभी जैन तीर्थंकर इक्ष्वाकु वंश में ही उत्पन्न हुए थे। बुद्धवंश के अनुसार शाक्यमुनि गौतम बुद्ध शाक्य कोलिय, ओक्काक के कुल में जन्मे थे जो संस्कृत के ‘इक्ष्वाकु’ का ही पालि रूप है। इक्ष्वाकु वंश को रघुवंश कहा जाता है जिसके वंशज रघुवंशी है जो मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश और राजस्थान में मुख्यता पाए जाते है
ब्रह्मा जी के 10 मानस पुत्रों में से एक मरीचि हैं।
इक्ष्वाकु भगवान ऋषभदेव को कहा जाता हैं शासकों की सूची संपादित करें ब्रह्मा जी के 10 मानस पुत्रों में से एक मरीचि हैं।
यहाँ से सतयुग आरम्भ होता हैं। 1- ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि 2- मरीचि के पुत्र कश्यप 3- कश्यप के पुत्र विवस्वान या सूर्य 4- विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु – जिनसे सूर्यवंशकाआरम्भहुआ।वैवस्वतकेपुत्रनाभाग 6- नाभाग 7- अम्बरीष 8- विरुप 9- पृषदश्व 10- रथीतर
11- इक्ष्वाकु कोलिय’ – ये परम प्रतापी राजा थे, इनसे इस वंश का एक नाम इक्ष्वाकु कोलिय नागवंशी वंश’ हुआ। (दूसरी जगह इनके पिता वैवस्वत मनु भी वताये जाते हैं )
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12- कुक्षि
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13- विकुक्षि
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14- पुरन्जय
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15- अनरण्य प्रथम
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16- पृथु
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17- विश्वरन्धि
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18- चंद्र
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19- युवनाश्व
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20- वृहदश्व
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21- धुन्धमार
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22- दृढाश्व
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23- हर्यश्व
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24- निकुम्भ
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25- वर्हणाश्व
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26- कृशाष्व
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27- सेनजित
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28- युवनाश्व द्वितीय
यहाँ से त्रेतायुग आरम्भ होता हैं।
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29- मान्धाता सूर्यवंशी क्षत्रिय कोलिय (कोली) के इष्टदेव भगवान श्री मान्धाता महाराजा हैं। राजा मान्धाता ने पूरी पृथ्वी पर शासन किया, इसी कारण से मांधाता को पृथ्वीपति के नाम से जाना जाता हैं।
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30- पुरुकुत्स
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31- त्रसदस्यु
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32- अनरण्य
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33- हर्यश्व
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34- अरुण
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35- निबंधन
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36- सत्यवृत (त्रिशंकु)
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37- सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र
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38- रोहिताश
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39- चम्प
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40- वसुदेव
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41- विजय
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42- भसक
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43- वृक
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44- बाहुक
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45- सगर
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46- अमंजस
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47- अंशुमान
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48- दिलीप प्रथम
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49- भगीरथ – जो गंगा को धरती पर लाये।
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50- श्रुत
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51- नाभ
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52- सिन्धुदीप
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53- अयुतायुष
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54- ऋतुपर्ण
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55- सर्वकाम
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56- सुदास
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57- सौदास
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58- अश्मक
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59- मूलक
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60- सतरथ
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61- एडविड
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62- विश्वसह
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63- खटवाँग
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64- दिलीप (दीर्घवाहु)
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65- रघु – ये सूर्यवंश के सवसे प्रतापी राजा थे।
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66- अज
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67- दशरथ
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68- राम (लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न)
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69- लव-कुश
यहाँ से द्वापर युग शुरु होता है।
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70- अतिथि
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71- निषध
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72- नल
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73- नभ
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74- पुण्डरीक
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75- क्षेमधन्मा
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76- देवानीक
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77- अनीह
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78- परियात्र
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79- बल
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80- उक्थ
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81- वज्रना
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82- खगण
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83- व्युतिताष्व
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84- विश्वसह
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85- हिरण्याभ
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86- पुष्य
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87- ध्रुवसंधि
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88- सुदर्शन
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89- अग्निवर्ण
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90- शीघ्र
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91- मरु
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92- प्रश्रुत
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93- सुसंधि
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94- अमर्ष
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95- महस्वान
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96- विश्वबाहु
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97- प्रसेनजक
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98- तक्षक
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99- वृहद्वल
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100- वृहत्रछत्र
यहाँ से कलियुग आरम्भ होता हैं।
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101- उरुक्रीय (या गुरुक्षेत्र)
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102- वत्सव्यूह
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103- प्रतियोविमा
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104- भानु
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105- दिवाकर (या दिवाक)
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106- वीर सहदेव
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107- बृहदश्व II
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108- भानुराठ (या भानुमान)
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109- प्रतिमाव
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110- सुप्रिक
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111- मरुदेव
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112- सूर्यक्षेत्र
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113- पुष्कर (या किन्नरा)
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114- अंतरीक्ष
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115- सुवर्णा (या सुताप)
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116- सुमित्रा (या अमितराजित)
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117- ब्रुहदराज (ओक्काका)
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118- बरही (ओक्कामुखा)
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119- कृतांजय (सिविसमंजया)
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120- रणजय्या (सिहसारा)
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संजय (महाकोशल या जयसेना)
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121- शाक्य (सिहानू:शाक्य वंश के संस्थापक)
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122- शुद्धोधन
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123- सिद्धार्थ, गौतम बुद्ध
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124- राहुल शाक्य ही फिर मौर्य बन गये शाक्यों के नरसंघार के बाद
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125- प्रसेनजीत
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126- कुशद्रका (या कुंतल)
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127- रानाक (या कुलका)
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128- सुरथ
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129- सुमित्र
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130- कुरम (सुमित्र के भाई)