सत्य की शोध
Blogआज का सत्यप्रेरणाशख्सियत

पद्मश्री,पद्मभूषण,उस्ताद ज़ाकिर हुसैन जी को 72 वे जन्मदिन की शुभकामनाए | जन्म 9 मार्च 1951 |

Share

नमस्कार ,

     

       पद्मश्री उस्ताद ज़ाकिर हुसैन (जन्म – 9 मार्च 1951) भारत के सबसे प्रसिद्ध तबला वादक हैं। ज़ाकिर हुसैन तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे हैं।

     ज़ाकिर हुसैन को भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में सन् 1988 में पद्मश्री तथा सन् 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये महाराष्ट्र से हैं। इन्हें वर्ष 2023 में पद्म विभूषण सम्मान दिया जाएगा।

         ज़ाकिर हुसैन का बचपन मुंबई में ही बीता। 12 साल की उम्र से ही ज़ाकिर हुसैन ने संगीत की दुनिया में अपने तबले की आवाज़ को बिखेरना शुरू कर दिया था। प्रारंभिक शिक्षा और कॉलेज के बाद ज़ाकिर हुसैन ने कला के क्षेत्र में अपने आप को स्थापित करना शुरू कर दिया। 1973 में उनका पहला एलबम लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड आया था। उसके बाद तो जैसे ज़ाकिर हुसैन ने ठान लिया कि अपने तबले की आवाज़ को दुनिया भर में बिखेरेंगे। 1979 से लेकर 2007 तक ज़ाकिर हुसैन विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समारोहों और एलबमों में अपने तबले का दम दिखाते रहे।

          ज़ाकिर हुसैन भारत में तो बहुत ही प्रसिद्ध हैं साथ ही साथ विश्व के विभिन्न हिस्सों में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं।1988 में जब उन्हें पद्म श्री का पुरस्कार मिला था तब वह महज 37 वर्ष के थे और इस उम्र में यह पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी थे। इसी तरह 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण का पुरस्कार दिया गया था। ज़ाकिर हुसैन को 1992 और 2009 में संगीत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ग्रैमी अवार्ड भी मिला है।

          पद्मश्री,पद्मभूषण , उस्ताद ज़ाकिर हुसैन साहब के 72 वे वर्ष के जन्मदिन की ढेर सारी शुभकानाए देते है , ज़ाकिर हुसैन साहब भारत का गौरव ही नहीं अभिमान है , भारत के कला जगत मे ऊंच स्थान प्राप्त है | इनको रूबरु देखना सुनना एक अवसर की तरह होता है | उनके जीवन से लाखो कलाकारो को प्रेणना मिली है , आज ‘सत्य की शोध ‘ मे पद्मश्री,पद्मभूषण, और इस साल के ‘पद्मविभूषण’ के भारतीय ऊंच सन्मान से सनमानित किए जाने वाले उस्ताद ज़ाकिर हुसैन साहब को तंदूरसती भरा दीर्घ आयुष्य प्राप्त हो  एसी शुभकामना देते है |

         नरेंद्र वाला 

विक्की राणा ‘सत्य की शोध’ 

 

Related posts

विश्व के बच्चो को पागल करने वाली “बार्बी” डॉल आज 64 साल की हो गई | फिरभी वैसी की वैसी है |

cradmin

गुजरात मे १८५७ की क्रान्ति की चिंगारी | राजा जीवाभाई ठाकोर को गुजरात मे फांसी दी गई | तात्या तोपे के सहकार से अंग्रेज़ो की नींद उड़ादी |

cradmin

भारत वर्ष का संपूर्ण वर्णन पहली बार ‘सत्य की शोध’ मे भारत का ‘सत्यनामा’ भाग-१

cradmin

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Privacy & Cookies Policy