



नमस्कार ,
‘જેલ માં તકલીફ વેઠશો નહીં ‘
મુંબઈ,
તા. ૮ /૧૨/૧૯૩૮
ચિ. મણિ બહેન ,
તમારો જેલ જતી વખતે [રાજકોટ સત્યાગ્રહ સમય ] લખેલો કાગળ મળ્યો …..
હવે તમને થોડો આરામ મળે તો સારું ,આરામ ની જરૂરત પણ છે. બહાર વાળાઓને ચિંતા હોય પણ અંદર પડેલા મુદ્દલ ચિંતા ના કરે ,ઈશ્વર જે કરે છે તે સારૂજ કરે છે .
જે જોઈશે તે નારણ ભાઈ [નારણદાસ ગાંધી] પાસેથી મંગાવી લેજો . જેલ માં કોઈ જાતની તકલીફ ના વેઠવી . વાંચવા માટે પુષ્ટકો જોઈએ તો મૃદુલા [ મૃદુલા સારા ભાઈ] ત્યાં આવેલી છે એટ્લે એને કહેજો . રેંટિયો ત્યાં મોકલ્યોજ છે .પૂણી વગેરે નારણ ભાઈ મોકલશે . [નારણદાસ ગાંધી ] અહી બધા મજામાં છે .
હું આજે વર્ધા જાઉં છુ . ત્યાં એકાદ અઠવાડિયું થવાનો સંભવ છે . તબિયત સંભાળવી . ખબર લખતા રહેજો .
કૂ.મણિ બહેન વલ્લભ ભાઈ પટેલ બાપુના
સ્ટેટ પ્રિઝન ,રાજકોટ આશીર્વાદ
[ इस पत्र को अन्य कोई भी भाषा मे पड़ना चाहे तो langueg bar से भाषा चुनकर पद शकते है ]
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ये सिर्फ एक पत्र ही नहीं है | देश ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को लोखंडी पुरुष का उपनाम दिया है , वो हककीकत मे लोखंडी पुरुष ही थे | कोई अपनी एक लौटी बेटी क्यो कठिन संघर्ष कराये ? क्यो अंग्रेज़ो की जेलो मे बार बार यातनाए -दुख भोगते ? एक पिता अपनी युवा बेटी के लिए एक अच्छा संस्कारी परिवार ही चाहते होते है ,जहा ब्याह कराके अपने घर जाके सुखी संसार बासए और खुश रहे | परंतु लोखंडी पुरुष की बात ही कुछ और होती है , देश की आज़ादी के दीवाने ,क्रांतिकारी ,सरदार पटेल के लिए आज के समय मे जितना लिखना चाहो उतना कम ही होगा | क्यो की उनका संघर्षमय जीवन ,जो देश की आज़ादी के लिए ही लिख दिया था |
सरदार पटेल की बेटी बचपन सेही पिता को देश के लिए लड़ते हुए , संघर्ष करते हुए , अंग्रेज़ो के सामने लड़ते हुए ,दुख-यातनाए शहते हुए बचपन से ही देखते आई थी , इस लिए बेटी मणि बहन ने भी अपने मन मे ठान लिया था की मे भी बापू की तरह बापू के साथ [ मणि बहन अपने पिता को बापू कहती थी] देश की आज़ादी के काम आना है , इस लिए वो भी निकल पड़ी थी आज़ादी की जलती हुई क्रान्ति की लड़ाई मे | अपना जीवन बाप-पिता की तरह साधारण था | मणि बहन भी देश की वो बेटी है जिन्होने अपना पूर्ण जीवन भारत देश के लिए अपने पिता सरदार वल्लभ भाई पटेल के विचारो के साथ उनके नक्शो-कदम पर चलती रही |
सरदार पटेल के आरिजिनल पत्र जो अपनी बेटी मणि बहन को लिखे है वो सभी प्रमाण के साथ हम प्रस्तुत करते रहेंगे |
गुजरात मे सामान्य खेत-हल चलाकर अपना जीवन गुजारने वाले परिवार के इन लोगो ने अपना जीवन भारत को समर्पित कर दिया था | आज़ादी के बाद प्रधानमंत्री के चुनाव मे सरदार पटेल को ही महतम मत मिले थे , लेकिन आज़ादी की शुरुआती दीनो मे ही राजकारण के भोग बन गए , और देश चाहते हुए भी उनको भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नहीं बनाए गए | देश पूरा जानता है ये क्यू और कैसे हुआ ? इसके बारे मे एक शृंखला सत्य की शोध मे लाऊँगा जो प्रमाण के साथ आपके सामने प्रस्तुत करूंगा |
देश के लोखंडी पुरुष और उनकी लोखड़ी फौलादी बेटी मणि बहन को ‘सत्य की शोध’ दिलसे सेल्यूट अकर्ति है |
जय हिन्द , जय भारत
नरेंद्र वाला
[विक्की राणा]
‘सत्य की शोध’