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भगवान बुध्ध के पूर्वज , क्या भगवान बुद्ध भगवान राम के वंसज है ? | सत्य की शोध मे पहली बार |

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नमस्कार,

                                         भगवान बुध्ध के पूर्वज का सत्यनामा

          ईशा पूर्व छठी शताब्दी में उत्तर भारत सर्वर प्रभुत्व संपन्न एक भी राज्य न था |देश अनेक छोटे-बड़े राज्यों में बंटा हुआ था| इनमें से किसी किसी राज्य पर एक राजा का अधिकार था, किसी किसी पर किसी एक राजा का अधिकार न था

        जो राज्य किसी एक राजा के अधीन थे उनकी संख्या 16 थी| उनके नाम थे अंग, मगध, काशी, कौशल,  वज्जि [वृज्जी]  मल्ल, चेदी , वत्स, कुरु , पज़्वाल ,सौरसेन, अष्मक ,अवंती, गंधार तथा कंबोज जिन राज्यों में किसी एक राजा का अधिपत्य न था, वे थे कपिलवस्तु के शाक्य, पावा तथा खुशीनारा के मल्ल ,वैशाली के  लिच्छवी, मिथिला के विदेह ,  रामगाम के कोलिय ,अल्लकप्प के बुली,केसपूत के कालाम,कलिंग, पीपलवन के मौर्य, तथा भग्ग [भर्ग ] चीन की राजधानी सिसुमारगिरि थी | 

         जिन राज्यों पर किसी एक राजा का अधिकार था वह जनपद कहलाते थे, और जिन राज्यों पर किसी एक राजा का अधिकार नहीं था वह संघ यागण कहलाते थे| कपिलवस्तु केशा क्योंकि शासन पद्धति के बारे में हमें विशेष जानकारी प्राप्त नहीं है वहां प्रजातंत्र था अथवा कुछ लोगों का शासन था ऐसा पुख्ता प्रमाण भी प्राप्त नहीं है|

         इतनी बात हम निश्चित पूर्वक कह सकते हैं कि शाक्य के जनतंत्र में कई राजपरिवार थे और वे एक दूसरे के बाद क्रमशः शासन करते थे| राज परिवार का मुखिया राजा कहलाता था सिद्धार्थ गौतम के जन्म के समय शुद्रोधन की राजा बनने की बारी थी|शाक्य राज्य भारत के उत्तर पूर्व कोने में था यह एक स्वतंत्र राज्य था| लेकिन आगे चलकर कौशल नरेश ने इसे अपने शासन क्षेत्र में शामिल कर लिया था|

         इस अधिराज्य प्रभाव क्षेत्र में रहने का परिणाम यह था कि कौशल नरेश की स्वीकृति के बिना शाक्य राज्य स्वतंत्र रीती से अपने कुछ राजकीय अधिकारों का उपयोग न कर सकता था ,उस समय के राज्यों में कौशल एक शक्तिशाली राज्य था|  मगध राज्य भी ऐसा ही था| कौशल नरेश प्रसनजीत और मगध नरेश बिंबिसार सिद्धार्थ गौतम के समकालीन थे|

            शाक्य की राजधानी का नाम कपिलवस्तु था| हो सकता है कि इस नगर का यह नाम महान बुद्धि वादी मुनि कपिल के ही नाम पर पड़ा हो| कपिलवस्तु में जय सेन नाम का एक शाक्य रहता था| सिंह-हनु  उसका पुत्र था| सीहहनु का विवाह कच्चाना से हुआ था | उसके 5 पुत्र थे|  शुद्रोदन,धौतोदन ,शूकलोदन ,शाक्योदन ,तथा अमितोदन ,पांच पुत्रों के अतिरिक्त सिंहहनु की दो लड़कियां थी-अमिता तथा प्रमिता | परिवार का गोत्र आदित्य था| शुद्धोधन का विवाह महामाया से हुआ था| उस अज्जन और मां का नाम सुलक्ष्णा | अज्जन कोलिय था और देवदाह नाम की बस्ती मे रहता था ,

      शूद्रोधन बड़ा योद्धा था |जब शूद्रोधन ने एक युद्ध मे अपनी वीरता का परिचय दिया तो उसे एक और विवाह करने की भी अनुमति मिल गई,उसने महा प्रजापति  नामक कन्या को चुना, जो महा प्रजापति महामाया की ही बड़ी बहन थी|

      शूद्रोधन बड़ा धनी आदमी था| उसके पास बहुत बड़े-बड़े खेत थे और नौकर चाकर भी अनगिनत थे|  कहा जाता है कि अपने खेतों को जोतने के लिए उसे 1000 हलचल वाने पढ़ते थे| वह अमन चैन की जिंदगी बसर करता था, उसके  कई महल थे| इसी वैभवी परिवार के धनवान , बलवान योद्धा शूद्रोधन के घर ही सिधधार्थ गौतम का जन्म हुआ था | तो यह थे तथागत भगवान बुद्ध के पूर्वजो का इतिहासनामा जो सत्य की शोध मे हम भगवान बुद्ध के जीवन के जुड़े कई ऐतिहासिक प्रामाणिक इतिहास से शोध करके आपके ज्ञान के लिए लाये है |      

   नरेंद्र वाला 

  विक्की राणा 

‘सत्य की शोध’       

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